अमेरिका में साध्वी ऋतंभरा के प्रवचन का विरोध, भड़काऊ भाषणों के आधार पर IAMC ने वीज़ा रद्द करने की माँग

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वाशिंगटन : बाबरी मस्जिद तोड़ने के मामले में मुल्ज़िम रहीं और मुसलमानों के ख़िलाफ़ ज़हर उगलने वाले भाषणों के लिए कुख्यात साध्वी ऋतंभरा को अमेरिका में प्रवचन के लिए बुलाये जाने पर इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) ने तीखी प्रतिक्रिया जतायी है. अमेरिका के इस सबसे बड़े एडवोकेसी संगठन के अध्यक्ष सैयद अली ने इसे अमेरिका में हिंदुत्ववादी ज़हर फैलाने के आरएसएस प्रोजेक्ट का हिस्सा बताते हुए अमेरिकी विदेश विभाग से ऋतंभरा का वीज़ा तुरंत रद्द करने की माँग की है. 

साध्वी ऋतंभरा के प्रवचन का आयोजन 30 और 31 अगस्त को जॉर्जिया के नॉरक्रास स्थित एक मॉल में है. IAMC के अध्यक्ष सैयद अली ने कहा कि अमेरिका में भारत से आये हिंदू और मुसलमान शांति से रहते हैं. दोनों समुदाय एक दूसरे के सुख-दुख के साथी हैं. ऐसा लगता है आरएसएस को यह मेल-मिलाप पसंद नहीं आ रहा है, इसीलिए एक डिज़ायन के तहत पहले न्यू जर्सी में योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों के साथ बुल्डोज़र परेड निकाली गयी और अब ऋतंभरा को प्रवचन देने के लिए बुलाया गया है. योगी आदित्यनाथ और ऋतंभरा दोनों भारत में मुस्लिमों से नफ़रत के प्रतीक हैं. उन्होंने कहा कि आरएसएस भारत में चल रहे अपने नफ़रती प्रोजेक्ट की आँच अमेरिका तक पहुँचाना चाहता है, जिसे अमेरिकी सरकार को बेहद गंभीरता से लेना चाहिए.

सैयद अली ने कहा कि संत का भेष धर लेने से कोई संत नहीं हो जाता. संत-महात्माओं का प्रवचन लोगों में प्यार और शांति का भाव भरते हैं, लेकिन ऋतंभरा के तमाम वीडियो बताते हैं कि उसने सिर्फ़ मुस्लिमों और ईसाईयों के ख़िलाफ़ घृणा फैलाई है. जब बाबरी मस्जिद तोड़ने के लिए आरएसएस के लोग पूरे भारत में अभियान चला रहे थे तो ऋतंभरा के ज़हरीले भाषणों के कैसेट शहर-शहर बजाये जा रहे थे ताकि दंगा भड़के. यूट्यूब में वो वीडियो अभी भी मौजूद है जिसमें वह क़ानून की परवाह न करते हुए अयोध्या में बाबरी मस्जिद तोड़ने की बात साफ़तौर पर कह रही है. अली ने कहा, ”क्या ऐसी महिला का न्याय, स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के नागरिक और मानवाधिकार की गारंटी करने वाले देश अमेरिका में स्वागत होना चाहिए? अमेरिकी विदेश विभाग को बिना देर किये इसका वीज़ा रद्द कर देना चाहिए और प्रवचन के आयोजकों की जाँच करानी चाहिए.”

सैयद अली ने बताया कि सीबीआई ने जिन 32 लोगों को बाबरी मस्जिद तोड़ने का दोषी बताया था उसमें ऋतंभरा का भी नाम था, लेकिन मोदी राज में अदालतें पूरी तरह आरएसएस की गिरफ़्त में हैं, ये हिंदुओं में मुस्लिम और ईसाई विरोधी ज़हर फैलाने के आरएसएस के प्रोजेक्ट का हिस्सा है. पिछले दिनों इसने हरिद्वार की धर्मसंसद में साफ़ कहा था कि हिंदू चार बच्चे पैदा करें और दो आरएसएस को दे दें! पूरी दुनिया जानती है कि आरएसएस एक फ़ासिस्ट संगठन है जो मुसलमानों और ईसाईयों के ख़िलाफ़ युद्ध चला रहा है. ऋतंभरा इसी फ़ासिस्ट सेना को मज़बूत बनाने की अपील कर रही हैं.

सैयद अली ने कहा कि ऐसी नफ़रती महिला का स्वागत और उसके प्रवचन की तैयारी में जुटे लोगों की ख़ासतौर पर जाँच की जानी चाहिए. यह धार्मिक आयोजन की आड़ में अमेरिका की शांति और सद्भाव भंग करने की साज़िश है. बुल्डोज़र रैली के बाद ऋतंभरा का प्रवचन सिर्फ़ मुसलमानों के लिए नहीं, अमेरिका में रह रहे उन तमाम हिंदुओं के लिए भी ख़तरे की घंटी है जो मानते हैं कि हिंदू धर्म एक सहिष्णु धर्म है जो प्यार बाँटने की बात करता है. अमेरिका के संविधान से संरक्षित मानवीय जीवन का स्वाद लेने वाले सभी हिंदू और मुसलमानों को इस साज़िश के ख़िलाफ़ एकजुट होना चाहिए. अमेरिका के नागरिक और मानवाधिकार संगठनों को भी साध्वी ऋतंभरा के स्वागत और प्रवचन के आयोजन के ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए.

अली ने उम्मीद जतायी कि अमेरिकी सरकार अपने देश में बढ़ रहे आरएसएस के इस अभियान पर तवज्जो देगी और विदेश विभाग ऋतंभरा का वीज़ा तत्काल रद्द करेगा. उन्होंने माँग की कि भविष्य में भारत से प्रवचन और भाषण देने के लिए बुलाये जाने वालों की स्क्रीनिंग हो ताकि अमेरिका की आज़ाद धरती को सांप्रदायिक उन्माद के कीटाणुओं से बचाया जा सके.

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