बीजेपी के मंच पर हुई बीजेपी की जमकर बेज्जती

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सब के साथ गेम करने वाली बीजेपी के साथ उसी के मंच पर खेल हो गया जब मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी सुखराम सिंह यादव बीजेपी के मंच पर पहुंचे और बीजेपी के मंच से ही बीजेपी का गेम बजा दिया। 

इस गेम के बारे में शायद बीजेपी के बड़े-बड़े धुरंधर नेताओं को भनक नहीं थी या ये कहा जाए कि उन्हें भनक लगी नहीं, सुखराम सिंह यादव के मंच पर आने से बीजेपी इतना जश्न में डूबी हुई थी कि उसे इस बात का अंदाजा नहीं था यह बाजी उल्टी पड़ जाएगी। 

दरअसल कानपुर में बीजेपी के कद्दावर नेताओं को इस बात का अहसास था कि आज समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद सुखराम सिंह यादव बीजेपी में आकर भगवा धारण कर लेंगे। जिनके इस्तकबाल में यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर खुद सीएम योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी थी। 

और जिस आस में यूपी के सीएम सहित यूपी बीजेपी के कद्दावर नेता मंच को साझा कर रहे थे वह धरा का धरा रह गया। क्योंकि बीजेपी में जाने की बात मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी सुखराम सिंह यादव ने मंच से कहीं ही नहीं। बल्कि मुलायम सिंह यादव और समाजवादी पार्टी के साथ अपने रिश्तो के बारे में विस्तार से बताया। बीजेपी के मंच से जब मुलायम सिंह के बेहद करीबी ने यह बात करना शुरू की, कि मेरा पूरा जीवन मुलायम सिंह का है जब तक मुलायम सिंह यादव जिंदा है और उनके आदेश के बिना मैं कोई कदम नहीं उठाऊंगा और मै उनके साथ रहूंगा। 

अब जरा सोचिए जो बीजेपी बड़े से बड़े नेताओं को पलक झपकते ही अपने पार्टी में शामिल करवा लेती हो और किसी को भनक न लगती हो आज उसके साथ इतना बड़ा गेम कैसे हो गया। 

यही नहीं सपा के सांसद ने यहां तक कह दिया समाजवादी पार्टी और बीजेपी में बहुत अंतर है। समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद सुखराम सिंह यादव कि अपनी उत्तर प्रदेश में एक अलग छवि है जिसके लिए बीजेपी उनको अपनी पार्टी में शामिल कराना चाहती थी चाहे इसके लिए बीजेपी को कोई भी कुर्बानी देनी पड़े क्योंकि इनके पास काफी अच्छा खासा वोट बैंक। मुलायम सिंह यादव के परिवार में उनका गजब का तालमेल है। 

अगर बात सुखराम सिंह यादव के पिता के बारे में की जाए तो सुखराम सिंह यादव के पिता मुलायम सिंह यादव के गुरु जैसे थे जिसके कारण सुखराम सिंह यादव सपा के बेहद चाहते और उनके परिवार के सदस्य जैसे हैं जिसके लिए समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कई बार खुले मंच से कहा भी है कि सुखराम सिंह यादव से बिना कोई सलाह लिए मैं कोई फैसला भी नहीं करता हूं यही वह कारण है जिसकी वजह से बीजेपी सुखराम सिंह यादव को अपने पाले में लाना चाह रही थी लेकिन बाजी पलट गई।  सुखराम सिंह यादव के पिता हरिमोहन यादव की सपा में ताकत के बारे में अंदाजा लगाया जाए तो कहा यह जाता है कि 2012 के चुनाव में हरिमोहन यादव ने मुलायम सिंह यादव को 12 प्रत्याशियों की लिस्ट भेजी थी।  जिस पर मुलायम सिंह यादव और अखिलेश ने मोहर लगाई थी उनमें से एक भी प्रत्याशियों का नाम कटा नहीं। अब इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं सुखराम सिंह यादव सपा के कितने चाहते है। यही सब कारण था कि मीडिया की सुर्खियों में और बीजेपी नेताओं के दिलो में सुखराम सिंह यादव के आगमन की तैयारी जोरों पर थी लोग समझ चुके थे कि सुखराम सिंह यादव और सपा खेमे से निकलकर कमल को खिलाने का काम करेंगे। 

लेकिन मंच पर बीजेपी को सुखराम का साथ नहीं मिला लेकिन उनके बेटे का हाथ जरूर मिल गया। एक कहावत है भागे भूत की लंगोटी सही तो बीजेपी के लिए सुखराम सिंह का बेटा लगोट का ही काम करेगा। हो कुछ भी मुलायम सिंह के करीबी सुखराम सिंह यादव ने बीजेपी की गेम बैंड कर रख दी। जिससे राजनीतिक गलियारे में हलचल सी मच हुई है।

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