कोरोना ने लोगों से छीना अंतिम संसार का हक़, शमशान और कब्रिस्तान में करना पड़ता है इंतेज़ार

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कोरोना महामारी के इस दौर में जहां अस्पतालों में ऑक्सीजन व दवाइयों की कमी हो रही है, वहीं संक्रमण से हो रही मौतों के चलते श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों में भी जगह खत्म होती जा रही है। ऐसी ही स्थिति उन्नाव जनपद के गंगाघाट स्थित पक्के शमशान घाट व बालू घाट स्थित श्मशान घाटों में भी देखने को मिल रही है। पहले उन्नाव के शवों का दाहसंस्कार यहाँ होता था लेकिन पड़ोसी जनपद लखनऊ व कानपुर में शवदाह गृह की स्थितियां बद से बदतर होती देख मृतकों के परिजनों ने उन्नाव का रूख कर लिया है जिसके  चलते लगभग 17 दिनों से मिश्रा कॉलोनी स्थित पक्के श्मशान घाट व पुराने पुल के बालू घाट पास बने शमशान घाट पर अंतिम संस्कार के लिए आने वाले शवों की भरमार रह रही है। श्मशान घाट के पंडों ने बताया कि इन दिनों रोजाना औसतन 30 से 40 शवों का एक श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार हो रहा है। वही घाट पर कोविड नियमों का पालन नही हो रहा है।दूसरी ओर लकड़ी की क़िल्लत हो गई है हालत यह है कि लकड़ी के टाल में लकड़ी की कमी हो जा रही है।अब तो ये स्थिति है कि आम की लकड़ी उपलब्ध न होने से अब शीशम व बबूल की लकड़ी तक से शवों का अंतिम संस्कार कराया जा रहा है।

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