जीयनपुर कस्बा स्थित आयुर्वेदिक चिकित्सालय में बिन बताये स्टाफ हुआ गुम

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आजमगढ़ योगी जी आप की प्रदेश को लेकर जो भी मंशा हो मगर मै तो अपने हिसाब से चलुंगी। चाहे आयुष योजना हो या कोई और मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। आयुष विभाग के मंत्री धरम सिंह सैनी देख लिजिये अपने विभाग के लोगों की करतूत को कुछ ऐसा ही नजारा दिखा जनपद के जीयनपुर थाना क्षेत्र स्थित आयुर्वेदिक चिकित्सालय का हाल। जहां पर तैनात चिकित्साधिकारी ने छुट्टी का प्रार्थना पत्र लिख, बिना उच्चाधिकारी के अनुमति चली गई। कोई आया तो छुट्टी का प्रार्थना पत्र तो है ही, नही तो कल सब सही हो जायेगा। यदि साहब आ गये और चेक किये तो खुद ही समझ जायेंगे।  जीयनपुर कस्बा स्थित आयुर्वेदिक चिकित्सालय पहुंचे और वहा का हाल जानने की कोशिश कि तो पता चला वहां पर कुल 8 से 9 स्टाफ तैनात है। जब हमने उपस्थिति रजिस्टर देखा  तो वहां पर डा. गीता वर्मा व डा. आरेश सिंह पटेल जो कि चिकित्साधिकारी, एक फर्मासिस्ट राधेश्याम यादव, दो स्टाफ नर्स इन्दूबाला व सावित्री देवी, दो वार्ड ब्वाय देवेन्द्र व राजकुमार, एक चैकीदार रामविलास व एक स्वीपर कम चैकीदार संजय के रूप मे तैनात है। रजिस्टर में राधेश्याम की उपस्थिति की जगह तो 25 व 26 फरवरी को सीएल(छुट्टी) दिखा मगर डा. गीता की जगह खाली दिखी। जब हमने वहा तैनात दुसरे चिकित्साधिकारी डा. आरेश सिंह पटेल से पुछा तो उनका कहना था कि जो फर्मासिस्ट है तो उनके पिता की तबीयत खराब है बाकि के बारे मे कोई जानकारी नहीं है।

अनुपस्थित लोगो का प्रार्थना पत्र देखा तो चिकित्साधिकारी डा. गीता द्वारा क्षेत्रीय आयुर्वेद अधिकारी ने नाम पत्र तो मिला लेकिन पत्र पर कोई स्वीकृति नही दिखी व वही पर फार्मासिस्ट राधेश्याम के पत्र पर स्वीकृति दिखी।
 जब इस मामले पर हमने मुख्यालय स्थित प्रभारी अधिकारी से बात की तो उनका कहना था कि वहा पर तैनात किसी भीे चिकित्साधिकारी द्वारा मेरे यहा से कोई छुट्टी का प्रार्थना पत्र नही मिला है, सभी लोग ड्यूटी पर है। मेरे द्वारा सिर्फ वहा पर तैनात चिकित्साधिकारी ही छुट्टी ले सकते है बाकी लोगों को अपने चिकित्सालय पर तैनात चिकित्साधिकारी से ही छुट्टी लेने की ही अनुमति है। अब सवाल ये उठता है कि ये वहां पर तैनात चिकित्साधिकारी अपनी ड्यूटी कितनी ईमानदारी से निभाते है। क्या वहा कोई नियम कानून है कि नहीं। क्या महोदया खुद ही सब कुछ तय कर लेंगी या आलाधिकारियों की अनुमति की भी कोई जरूरत है। मैडम के हिसाब से तो लगता है कि वह छुट्टी का प्रार्थना पत्र लिख अपने टेबल पर छोड़ जायेंगी और साहेब आकर स्वीकृति दे देंगे। मैडम तो 25 फरवरी को ही मुख्यालय छोड़ने की बात कह कर चली गई और साहेब को पता ही नहीं। क्या ऐसे ही चलेगी आयुष योजना, मोदी सरकार ने सितम्बर 2015 में राष्ट्रीय आयुष योजना की शुरूआत की थीसरकार की मंशा थी कि आयुष अस्पतालों और औषद्यालयों की संख्या बढ़ा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों को फायदा मिले और आयुर्वेद समय की मांग है ताकी जनता को भी बिना साईड इफेक्ट के सस्ता इलाज मिल सके। तो क्या ऐसे ही अधिकारियों के भरोसे सरकार की मंशा को पूरी होगी। अब मैड़म सहिबा के छुट्टी की जबाबदेही कौन देगा ये अपने आप में बड़ा सवाल है। देखना ये है कि विभाग के जिम्मेदारान कब अपनी जिम्मेदारी समझेंगऔर जनता को योजनाओं का सही लाभ मिलेगा।

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