महाराज के राज्य में गौवंशों का बुरा हाल, लगातार हो रही है मौतें

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बाँदा में गौवंशों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है । ताजा मामला तिंदवारी नगर पंचायत की कान्हा गौशाला का है जहां ठंड से लगभग 35 गौवंशो की मौत के बाद उनके शवों को  नगर पंचायत के कर्मचारियों ने बिना पोस्टमार्टम कराए उन्हे है ,एक  गढ्ढे में फिकवाया दिया। मामला की जानकारी होने के बाद जिलाधिकारी ने कड़ी कार्यवाही करते हुए नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी को मामले की जाँच के आदेश  दिए हैं । पूरा मामला तिन्दवारी कस्बा स्थित कान्हा पशु आश्रय केंद्र में भूख और ठंड से तड़प कर आएदिन गौवंशों की मौतों का सिलसिला जारी है।कस्बेवासियों के अनुसार कान्हा केंद्र की अभी तक इस भयंकर ठंड से ठिठुर-ठिठुरकर लगभग 35 गौवंशो की मौत हो चुकी है।वही नगर पंचायत के जिम्मेदारान आश्रय केंद्र के गौवंश न होने की बात करके अपना पल्ला झाड़ने में लगे हुए हैं। कस्बे के कान्हा पशु आश्रय केंद्र में गौवंशो को आश्रय देने के लिए दो प्रकार की व्यवस्था की गयी है।सरकारी केंद्र में टैग लगे गौवंशो को रखा गया और उसी के पास दूसरे फाटक में बिना टैग वाले गौवंशो को रखा गया। कस्बेवासियों ने बताया कि आएदिन गौवंशों की भूख और ठंड से ठिठुर-ठिठुरकर मौत हो रही है।टैग वाले गौवंशों की मौत के बाद उनके कान से टैग निकालकर हट्टे-कट्टे गौवंशों को टैग लगाकर संख्या बराबर कर दी जाती है। और मरे हुये गौवंशों को रात के साये में या फिर सुबह-सुबह सूर्य उदय से पहले बिना पोस्टमार्टम कराए नगर पंचायत द्वारा खोदे गए गढ्ढ़े में डालकर मिट्टी से पूरा दिया जाता है । रविवार की सुबह कस्बे के रामनरेश सिंह पटेल ने बताया कि मेरे ट्यूबवेल के सामने नगर पंचायत की पड़ी जमीन में एक विशालकाय गढ्ढ़े में चार गौवंशों को नगर पंचायत का ट्रेक्टर डाल गया। इसी तरह आएदिन नगर पंचायत का ट्रेक्टर मरे हुए गौवंशों को डाल जाते हैं।जबकि इसके पूर्व एक गढ्ढ़े में लगभग बीस गौवंश दफन किये जा चुके हैं।जैसे ही मरे हुए गौवंशों से गढ्ढा भर जाता है तभी नगर पंचायत द्वारा जेसीबी मशीन से गढ्ढ़े को मिट्टी से पटा दिया जाता है। ठीक इसी प्रकार रविवार की सुबह में चार मरे हुए गौवंशो को दूसरे गढ्ढे में डालकर जेसीबी मशीन से गढ्ढ़े को मिट्टी से पाट दिया गया। जिसमे लगभग पन्द्रह गौवंशों की कस्बेवासियों ने इस गढ्ढ़े में दफनाने की पुष्टि की है। अभी तक लगभग कुल 35 मरे हुये गौवंशों को दोनो गढ्ढों में मिट्टी डाल कर पटाया जा चुका है। वही इस बावत जब नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी अमर बहादुर सिंह से जानकारी ली गयी तब उन्होंने बताया कि गौशाला के सभी गौवंश सुरक्षित है ये मरे हुए गौवंश कस्बेवासियों के हैं जो मरने के बाद खुला छोड़ देते हैं।कस्बे को दुर्गंध से बचाने के लिए नगर पंचायत को पहल करनी पड़ती है। रिपोर्ट – आशीष सिंह

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