अल इमाम वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष इमरान हसन सिद्दीकी ने लालबाग स्थित अपने आवास पर प्रेस वार्ता कर हाल ही में आए देश के सबसे चर्चित विषय बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सुन्नी इमरान हसन ने कहा कि मुख्य वक्ता के रूप में मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करता हूं। मेरे साथ इस देश के तमाम मुसलमान भी इस फैसले का सम्मान करते हैं। क्योंकि मुसलमानों पर पिछले 30 सालों से यह इल्जाम लगता आ रहा था कि मुसलमानों ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई। लेकिन न्यायालय ने गलत साबित कर दिया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जिन तर्कों को सामने रखा गया उनके अनुकूल फैसला नहीं है। तर्कों के आधार पर फैसला हमारे हक में आना चाहिए था। कोर्ट ने खुद स्वीकार किया है कि बाबरी मस्जिद राम मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई और ना ही वहां कोई खुदाई में कोई भी ऐसा अवशेष मिला जिससे यह साबित हो कि जहां राम मंदिर था। दूसरी सबसे अहम बात कि जब कोर्ट ने यह माना कि मस्जिद को तोड़ा गया व मूर्तियां रखी गई यह गैरकानूनी है।तो कोर्ट को उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश देना चाहिए। जिन लोगों ने मस्जिद को तोडा व उनके कहने पर जनता ने इस काम को अंजाम दिया उन सभी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। सुना नहीं अभी कहां की जब कोर्ट ने पहले ही कहा था कि इस केस का फैसला धार्मिक भावनाओं के आधार पर नहीं किया जाएगा पर जो फैसला आया तो वह आस्था के आधार पर हुआ। उन्होंने न्यायालय से अपील की कि इस फैसले को भविष्य में किसी भी मामले में उदाहरण बनाकर ना पेश किया जाए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए फैसले कानून बन जाते हैं जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट स्वयं सुमोमोटो लेते हुए उसका रिव्यू करें। उन्होंने सुन्नी वक्फ बोर्ड वाह इस मामले में सभी पक्षकारों खासकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और कौम के उलेमाओ से अपील करते हुए कहा कि इस मामले को रूबी में ले जाना ही होगा। वक्फ बोर्ड इस मामले में किसी भी प्रकार की लापरवाही ना बरतें। उन्होंने कहा मैं इस देश के मुसलमानों से अपील करता हूं कि वह इस मामले से सीख लेते हुए अपनी मजदूरों को आबाद रखें और शरीयत पर चलने की पूरी कोशिश करें।