अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स (AIIMS) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने शुक्रवार को कहा कि ज्यादातर हल्के और एसिम्प्टमैटिक कोविड-19 मामलों में वायरस 7वें या 8वें दिन बाद मर जाता है. उस समय वह किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित नहीं कर सकता है, लेकिन जब कोई व्यक्ति कोरोना मुक्त हो गया हो उस समय मरे हुए वायरस या उसके पार्टिकल्स आरटी-पीसीआर टेस्ट में देखे जा सकते और रिपोर्ट पॉजिटिव भी आ सकती है. यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है कि हल्के मामलों में वायरस छह या सात दिनों के बाद मर जाता है.
होम आइसोलेशन के तहत कोरोना के उपचार के लिए जारी की गई नई गाइडलाइंस के अनुसार, कोविड के मरीजों को 10 दिनों तक आइसोलेशन में रहना होगा.
उन्होंने कहा कि रेमेडिसविर के अपने साइड इफेक्ट्स हैं इसलिए उसे सिर्फ अस्पतालों में ही लेना चाहिए. इस दवा को होम आइसोलेशन के दौरान लेने के लिए निर्देशित नहीं किया गया है. रेमेडिसविर हल्के और एसिम्प्टमैटिक मरीजों के लिए बिल्कुल नहीं है. इसका कोई फायदा नहीं है और नुकसान भी हो जाता है. अगर ऑक्सीजन सेचुरेशन 94 से कम हो रही है तो एकदम डॉक्टर से सलाह लें, जिससे आपको समय पर ट्रीटमेंट मिल जाएगा.
रणदीप गुलेरिया ने कहा, ‘आप होम आइसोलेशन में हैं तो ऐसे क्या लक्षण हैं जिससे आपको तुरंत मेडिकल सपोर्ट की जरूरत है. अगर आप खुलकर सांस नहीं ले पा रहे हैं तो इसको सेचुरेशन के साथ लिंक करके देखें. कई बार लोग घबराहट के कारण लगता है कि घुटन हो रही है और वे सांस नहीं ले पा रहे हैं. उस समय सेचुरेशन 97-98 होता है. हां अगर खुलकर सांस नहीं ले पा रहे हैं तो उचित रहेगा कि मेडिकल सलाह लें.’
उन्होंने कहा, ‘होम आइसोलेशन कब खत्म करनी चाहिए ये भी एक जरूरी चीज समझना है. इसको हम कहते हैं कि मरीज को कब छुट्टी दी जाएगी. इसके लिए हमारी गाइडलाइंस हैं कि कम से कम 10 दिन हो जाने चाहिए. अगर कोई लक्षण हैं तो कम से कम आखिरी के तीन दिन ऐसे होने चाहिए जब आपको कोई फीवर नहीं आया हो और कोई दूसरा लक्षण नहीं है. उसके बाद आपको टेस्ट करने की जरूरत नहीं है और घर के बाहर आ सकते हैं.’