चिलचिलाती हुई धूप, गर्म सड़कें, और मजदूरों के नंगे पाव, पांव पर छाला। इन सबके बीच उत्तर प्रदेश में सियासी पारा सबसे ऊपर है प्रवासी मजदूरों के नाम पर ऐसी सियासत हो रही है कि शर्म भी खुद शर्मसार हो जाए। कोरोना संकट के बीच जहां लोग कोरोना से अपनी जान गवा रहे हैं।
लेकिन उससे ज़्यादा लोग भूख और थकन से मर रहे हैं। शर्मनाक बात तो यह है जो सत्ता में बैठे हैं उन्हें यह लगता है कि सब कांग्रेस का किया धरा है। ऐसा लगता है सत्ता में भाजपा नहीं कांग्रेस हैं क्योंकि सारे सवाल कांग्रेस पर खड़े किए जा रहे हैं। जब से कोरोना संकट देश में आया है तब से लोग शहरों को छोड़कर अपने गांव की तरफ पलायन कर रहे हैं क्योंकि रोजगार नहीं है काम नहीं है सब कुछ सब बन्द है तो पेट कैसे भरेगा लोग अपनी जिंदगी को बचाने के लिए अपने घर पैदल ही चल दिए । कितनों की रास्ते में जान चली गई।
आपने सोशल मीडिया पर देखा होगा कि कोई मां अपने मासूम को ट्रॉली बैग पर खींच रही है मानो ऐसा लग रहा है कि मां इंजन है और ट्रॉली बैग उसका डिब्बा ।
यात्री उसका बेटा इस तस्वीर को देखने के बाद हर कोई हिल गया लेकिन ऐसी हजारों तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई जिसमें कोई बच्ची अपने बूढ़े बाप को साइकिल से कई 100 किलोमीटर लाती है। कोई पति अपनी बीवी को कांधे पर लाता है कोई दोस्त अपने दोस्त की जान बचाने के लिए रास्ते में गिड़गिड़ाता।
इन सबके बीच सियासत जोरों पर है। इस कड़ी में कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह अपनी पार्टी पर आरोप लगा रही हैं और उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया की तारीफ कर रही हैं वैसे सियासत में सत्ता की लालच कुछ भी करवा लेती है क्योंकि राजनेताओं को सियासी नागिन भी कहा जाता है। जो किसी को भी डस सकते हैं। अदीति सिंह ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट करते हुए प्रवासी मजदूरों के लिए कांग्रेस की तरफ से चलाई जा रही बसों पर सवाल खड़ा कर दिया अदिति ने लिखा कि आपदा के वक्त ऐसी निम्न सियासत की क्या जरूरत, एक हजार बसों की सूची भेजी, उसमें भी आधी से ज्यादा बसों का फर्जीवाड़ा, 297 कबाड़ बसें, 98 ऑटो रिक्शा व एबुंलेंस जैसी गाड़ियां, 68 वाहन बिना कागजात के, ये कैसा क्रूर मजाक है।
अगर बसें थीं तो राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र में क्यों नहीं लगाईं। इसके बाद भी आदित्य सिंह चुप नहीं बैठती हैं आगे भी ट्वीट करती है। और इस बार सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ करती दिखी कहती है कि कोटा में जब यूपी के हजारों बच्चे फंसे थे तब कहां थीं ये तथाकथित बसें, तब कांग्रेस सरकार इन बच्चों को घर तक तो पहुचाती, बॉर्डर तक न छोड़ पाईं, तब सीएम योगी ने रातोंरात बसें लगाकर इन बच्चों को घर पहुंचाया, खुद राजस्थान के सीएम ने भी इसकी तारीफ की थी। ये शब्द है सियासत के दलदल के इसमें जो भी गया वह निकल नहीं सकता। इसलिए इस समय देश के लोगो को उनके लिए सोचना चाहिए जो सच में पीड़ित हैं, कमजोर हैं जो कोरोना से कम भूख से ज़्यादा मर रहे हैं नहीं तो आने वाले समय में आप अपने देश की वो तस्वीर पेश करेंगे। जिसकी कल्पना करने में भी शर्म आएगी।