चुनाव हारने के बाद मुसलमानों पर मायावती का कड़ा प्रहार
क्या मुसलमानों ने लिया था मायावती को मुख्यमंत्री बनाने का ठेका
क्या अखिलेश यादव को मुसलमानों ने वोट देकर माया के साथ किया है धोखा
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव समाप्त हुआ नतीजे आये तो कई पार्टियों के लोगों में बौखलाहट आ गयी,लेकिन इन सबके बीच अब अपनी अपनी हार का जिम्मेदार नेता किसको ठहरा रहा है,यह भी देखने वाली बात है.
आखिरी बसपा सुप्रीमो मायावती अपनी हार का ठीकरा मुसलमानों पर क्यों फोड़ रही है?
बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक लंबी चौड़ी प्रेस कांफ्रेंस करके दलित वोटरों का जहां धन्यवाद किया,तो वही मुसलमानों को आड़े हाथों लिया.इनके इस बयान से मुसलान तो न घर के हुए न घाट के.
कोई बुलडोजर चलवा रहा है,तो कोई अपनी हार का ठीकरा मुसलमानों पर फोड़ रहा है.
मायावती ने मुसलमानों को जमकर कोसा,और तो और अपनी हार का जिम्मेदार भी ठहरा दिया है.
दरसअल बुआ जी को अखिलेश यादव का बीजेपी को टक्कर देने पसंद नही आया.यही नही,,,, बुआ ने ये भी कह दिया कि मुसलमानों ने अखिलेश यादव को वोट देकर ग़लत कर दिया.
मायावती के बयान के बाद यह सवाल खड़ा होता है कि क्या बसपा सुप्रीमो मायावती को 4 बार उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने की जिम्मेदारी मुसलमानों की थी.
दूसरा सवाल यह खड़ा होता है कि क्या मुसलमानों को किसको और कहां वोट करना है यह हक नहीं है.
यह सवाल इसलिए खड़े हो रहे हैं क्योंकि मुसलमानों को हर कोई अपनी- अपनी तरह से अपना वोट बैंक समझता है.बाद में इन्ही को दरकिनार कर दिया जाता है.
मुसलमानों हर किसी की किस्मत चमकाए और मौका मिलने पर दूध से मख्खी जैसा निकाल कर उन्हें फेंक दिया जाए.
ये कहाँ का इंसाफ है,,,,
दलित और मुस्लिमों की राजनीति वाली मायावती ने आगे मुसलमानों को लेकर कहा कि मुसलमानों की गलत सोच का कारण रहा कि आज बीजेपी सत्ता में है.लोगों के मुताक़ीब अंदर से बसपा सुप्रीमो बीजेपी से मलाई काटे और ऊपर से दिखावा.
हिपरोक्रेसी की हद है बुआ जी,,,,
यही नहीं मायावती ने कहा कि मुसलमानों की एक भूल ने बीएसपी को एक बड़ी सजा दी है ,,,,,जो हार का सामना करना पड़ा,,,,, जो हमारे लिए बेहद दुखद और सीख लेने की बात है,,,, साथ ही मायावती ने अपने बयान में यह साफ कर दिया है कि आने वाले चुनाव में मायावती अब मुसलमानों के भरोसे नहीं रहेंगीऔर कोई ना कोई काट इसका जरूर निकालेंगी.
बसपा सुप्रीमो मायावती की अगर बात करें तो मायावती हमेशा से दलितों और मुसलमानों को एक करके सत्ता में काबिज हुई हैं,लेकिन इस बार अखिलेश यादव की रणनीति ने बसपा सुप्रीमो मायावती के सपने को चूर-चूर कर दिया.
अखिलेश यादव को मुसलमानों का एकतरफा वोट मिला जिसका नतीजा यह रहा कि अखिलेश यादव का वोट प्रतिशत बढ़ा और पिछले चुनाव की अपेक्षा इस चुनाव में अखिलेश यादव ने अच्छा प्रदर्शन किया.
यह बात अलग है कि अखिलेश यादव इतना अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद भी सत्ता पर काबिज नहीं हो पाए लेकिन कुल मिलाकर के अखिलेश यादव की हार में भी लोग जीत ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं.