उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में सरकारी कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय में निशुल्क बटने आई पुस्तकों को कबाड़ी को बेचे जाने का मामला सामने आया । उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकारी विद्यालयों से बच्चों को दी जाने वाली किताबों को विद्यालय के प्रधान अध्यापक द्वारा कबाड़ी को बेचने का मामला सामने आया है।
ज़मीन में रखी इन किताबो को देखकर आप समझ रहे होंगे कि यह कोई किताबो की दुकान है लेकिन हम आपको बता दे कि दरअसल यह कोई किताबो की दुकान नही बल्कि यह एक कबाड़ी की दुकान है जहाँ पर प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी स्कुलो में पढ़ने वाले बच्चों को निशुल्क देने के लिए आई थी लेकिन सरकारी अघ्यापक ने इन किताबो को बच्चों को न देकर कबाड़ी देना मुनासिफ समझा । दअरसल यह किताबे उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के इमिलिया गांव के पूर्व कन्या प्रमारी विद्यालय के बच्चों के लिए निशुल्क वितरण के लिए आई थी लेकिन इस विद्यालय के प्रधान अध्यापक ने इन्हें कबाड़ी को बेच कर अपनी काली कमाई का जरिया बनाना उचित समझा ।
अनिल ने बताया कि वह कबाड़ खरीदने का काम करता है। रोज की भांति आज वह कबाड़ खरीदने के लिए फेरी लगाते हुए इमिलिया पहुंचा। जहां कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय के अध्यापक जयचंद ने उसे बुलाया और विद्यालय में रखी किताबें बेचने को कहा, और बताया कि उसने वहां से 28 किलो किताबें 5 रुपये/किलो के भाव में खरीदी। जो कि गिनती में लगभग एक सैकड़ा से ऊपर हैं। जिनके एवज में उसने अध्यापक को तौल के हिसाब से पैसे भी दिए हैं। बताया कि उसने वह किताबें मुस्करा में एक थोक कबाड़ी की दुकान में लाकर बेच दी। सभी किताबें सत्र 2020-21 की थी।
संबंध में मुस्करा बीआरसी अधिकारी ए बी एस ए समर सिंह ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में आया है। जिसकी उन्होंने स्थली जांच की है। और बताया कि जो भी तथ्य सामने आता है उसके अनुसार उच्च अधिकारियों को अवगत कराते हुए विभागीय कार्यवाही की जा रही है। जबकि आरोपी अध्यापक से बात करने पर उसने बताया कि मैंने सिर्फ विद्यालय की रद्दी कचरा ही कबाड़ में बेचा है।