आज हरी सब्जियों के जो भाव रहे उसमें भिंडी,लौकी, लोबिया तीन रुपये प्रति किलो,तरोई कद्दू 2 रुपये किलो।जिससे किसानों की पूंजी तो दूर की बात उनका मंडी आने जाने का भाड़ा निकलना मुश्किल हो रहा है।
ऐसे में किसानों पर पड़ने वाली मौसम व भाव की दोहरी मार ने जीना मुश्किल कर दिया है।
मंडियों में सब्जियों के इस भाव का लाभ क्या उपभोक्ताओं को मिल पाता है।अगर नही मिल रहा है तो तय है कि बीच के भाव का लाभ सीधे बिचौलियों को मिल रहा है।
वहीं सरकार द्वारा इन किसानों के प्रति कोई ठोस रणनीति न बनने से भी लोगों में नाराजगी है।शराब व अन्य कारोबार में जहां आसमान छूते भाव पूंजीपतियों व सरकार को मालामाल कर रहे हैं वहीं किसानों के उत्पादों के भाव औंधे मुंह जमीन पर गिरने से किसानों को कर्ज से दबाए जा रहे हैं।
क्या ये सरकार सिर्फ पूंजीपतियों के लिए है ? ये सवाल लोगों के दिमाग मे घर बनाना शुरू कर दिया है।
रिपोर्ट : राम नरायन जायसवाल