पंजाब में किसानों का एक संगठन बना , संयुक्त समाज मोर्चा लगभग एक साल तक सरकारों को नाकों चने चबवाने वाला यह संगठन जब पंजाब में चुनाव लड़ने उतरा तो जमीनी स्तर पर उनसे ढेर स्नेह दिखाने वाले मतदाताओं ने ईवीएम और बैलेट में उन्हें सिरे से नकार दिया । यह इस अंदेशे को सिद्ध करेगा कि कृषि कानूनों की फिर वापसी होगी , चाहे देर से ही सही पर होगी।पंजाब की जनता को बदलाव चाहिए था ओर उसने करके दिखाया।
बात करें अगर यूपी की तो,,,,
यूपी में योगी की वापसी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा का डंका बजाने वाले बड़े किसानों को अपनी फ़सल निजी मंडियों को बेचने को विवश किया है।
ये बात सिद्ध हुई है कि जनता तक सीधी पहुंच बीजेपी कैडर की है।जिसे स्वीकारते हुए विपक्ष को आम दिनों में जनता के बीच सीधी पहुंच बनाए रखनी होगी।
इस चुनाव में कई मिथक टूटते दिखाई दिए हैं।
अभी भी कुछ बिगड़ा नही,बस ओवर कॉन्फिडेंस से बाहर आकर वोटर की नज़र से अपना आकलन करने की जरूरत है।
किसी की रैली में कुर्सी ख़ाली होने से या फिर किसी की रैली में अधिक संख्या में भीड़ आने से वोट की गिनती नही की जा सकती है। यही सभी को समझना होगा