सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को यूपी पंचायत चुनाव (UP Panchayat Election) के वोटों की गिनती को टालने लिए दायर की गई याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने मतगणना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और काउंटिंग सेंटर्स के बाहर कोविड प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन करने के निर्देश दिया. कोर्ट ने 829 मतगणना केंद्रों पर कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन किए जाने का राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा आश्वासन दिए जाने के बाद उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव की वोटों की गिनती की अनुमति दी.
याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि मतगणना के दौरान या मतों की गिनती के बाद किसी प्रकार की विजय रैलियों की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि मतदान केंद्रों पर एंट्री से पहले अधिकारियों, प्रत्याशियों और एजेंटों को ‘नेगेटिव’ कोविड-19 रिपोर्ट पेश करनी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग को संबंधित याचिकाओं पर इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा सुनवाई पूरी होने तक मतदान केंद्रों की सीसीटीवी फुटेज संरक्षित (Save) रखने का निर्देश दिया.
उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में चार चरणों में पंचायत चुनाव के मत डाले जा चुके हैं. पहले चरण में 15 अप्रैल, दूसरे में 19 अप्रैल, तीसरे में 26 अप्रैल और चौथे चरण में 29 अप्रैल को मतदान संपन्न हुआ. राज्य में चारों चरणों में ग्राम पंचायत प्रधान के 58194, ग्राम पंचायत सदस्य के 731813, क्षेत्र पंचायत सदस्य के 75808 और जिला पंचायत सदस्य के 3051 पदों के लिए मत डाले गए हैं. इनमें से कुछ पदों पर निर्विरोध निर्वाचन भी हो चुका है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से पंचायत चुनाव प्रक्रिया 25 मई तक खत्म करने को कहा था.
उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव के मतों की गिनती रविवार को शुरू होगी, जिसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने उम्मीदवारों और अभिकर्ताओं को स्पष्ट हिदायत दी है कि मतगणना केंद्रों में उन्हें ही प्रवेश मिलेगा जिनकी कोविड-19 की रिपोर्ट निगेटिव होगी.
उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव की मतगणना शुरू होने से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ और उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ ने मतगणना के बहिष्कार की घोषणा की है. उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ ने एक बयान जारी कर कहा कि शिक्षकों और कर्मचारियों को चुनाव संबंधी प्रशिक्षण और मतदान की ड्यूटी के दौरान महामारी से बचाने की व्यवस्था उपलब्ध कराने में निर्वाचन आयोग की विफलता और अपने संघ के सदस्यों के प्राणों के रक्षार्थ उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ ने यह फैसला लिया है.