स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार पुरजोर प्रयास कर रही है। वहीं जमीनी स्तर पर सरकार के प्रयासों पर डॉक्टर ही पलीता लगा रहे हैं। मामला यूपी के मऊ जनपद का है जहां जिला अस्पताल में डॉक्टर बाहर की दवाई लिख रहे हैं। वहीं जन औषधि केंद्रों की दवाई को भी कम प्रभावी बताया जा रहा है। बता दें कि जिला अस्पताल में निशुल्क दवा उपलब्ध कराने की व्यवस्था है। बावजूद इसके अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा मरीजों को बाहर की दवा लिखी जाती है। जिससे मजबूरन मरीज को बाहर की महंगी दवाई खरीदने पड़ते हैं। दूसरी तरफ आम जनता को कम कीमत पर अच्छी दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोले गए हैं। लेकिन डॉक्टरों द्वारा जन औषधि केंद्रों से ली गई दवाओं को कम प्रभावी बता कर बाहर की दवाएं लिखी जाती हैं। ऐसे में मजबूर होकर मरीज भी जल्द स्वस्थ होने की उम्मीद में बाहर की दवा खरीदता है। जिला अस्पताल के बाहर स्थित दुकानों पर बड़ी संख्या में प्रतिदिन ऐसे मरीजों की लाइन लगी होती है जिन्हें अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा बाहर की दवाई लिखी गई होती है। जिला अस्पताल में इलाज कराने आए पप्पू सिंह चौहान ने बताया कि वह बाइक से गिर गए थे। उपचार कराने के लिए जिला अस्पताल में आए तो बाहर से एक्सरे कराने को लिखा गया। जबकि अस्पताल में एक्सरे की सुविधा उपलब्ध है। वहीं दवाएं भी बाहर की लिखी गई है। अस्पताल में बताया गया कि बाहर से एक्सरे ठीक से होता है और अस्पताल में सभी दवाओं की कॉम्बिनेशन भी नहीं मिलती। अस्पताल में सभी सुविधाएं होते हुए भी पैसों की लालच में बाहर की सुविधा लेने को मजबूर किया जाता है।