नर सेवा ही नारायण की सेवा है इस यथार्थ को लोगों के सामने पेश करने का प्रयाश गोण्डा जनपद के एक लाल ने किया है।ईश्वर व प्रकृति के द्वारा निर्मित सभी जीव जंतुओं वनस्पतियों में विषमताएं देखने को अक्सर मिलती रहती हैं।कोई वृक्ष छोटा तो कोई बड़ा होता।कुछ वृक्ष ऐसे होते हैं जो अपने नीचे किसी भी पौधों को पनपने नही देते तो कुछ ऐसे भी होते हैं जो छोटी छोटी लताओं को सहारा देकर अपने ऊंचाइयों तक लेकर जाने का प्रयास करते हैं। ठीक इसी प्रकार ईश्वर द्वारा बनाये गए जीव मानव में भी विषमताएं पाई जाती हैं।हर इन्सान अपने जीवन को सफल बनाने के लिए हर संभव प्रयास करता है लेकिन कुछ तो आसमान की बुलंदियों को छूते हैं तो कुछ लोग किसी तरीके से जीवनयापन कर रहे होते हैं। कुछ लोग अपने से नीचे व्यक्तियों का शोषण कर बुलंदियों को छूने का प्रयास करते हैं तो कुछ अपने मेहनत व तकदीर से आगे बढ़कर अपने पीछे छुटे इंसानों के जीवन का सहारा बनते हैं। आज हम बात कर रहे हैं गोण्डा जनपद के एक छोटे से ग्रामसभा धौरहरा घाट में रहने वाले शशांक मिश्रा की जिन्होंने गरीबों व असहायों की सेवा करने का बीणा उठा रखा है। शशांक मिश्रा तरबगंज तहसील क्षेत्र के धौरहरा घाट के वेद प्रकाश मिश्र के लड़के हैं जिन्होंने स्नातक तक पढ़ाई करने के बाद अपने उम्मीदों को लेकर मुंबई चले गए।जहां पर अपने हुनर व कड़ी मेहनत के बाद अपना पैर मुम्बई जैसे शहर में जमा सके। सॉफ्टवेयर पार्ट की दुकान खोलकर जब अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने लगे तो इन्हें गांव में रह रहे गरीब नौजवानों वृद्धि जनों का ख्याल आया। शशांक मिश्रा ने योजना बनाई की अपने कमाई का एक हिस्सा साल में गांव जाकर मैं उनके बीच मे खर्च करूँगा जिनके दरवाजे पर व जिनके गोद मे खेलकूद कर मैं बड़ा हुआ व इस लायक बना हूं। उसी क्रम में पिछले साल ठंड के महीनों में शशांक मिश्रा ने गरीबो के बीच लगभग 300 कंबलों का वितरण किया था।लेकिन आवश्यकता को देखते हुए इस बार कम्बलों की संख्या बढ़ाकर एक हजार किया व साथ मे अधिक जरूररत मंदो के लिए रजाइयों व शॉल की भी व्यवस्था की।जिसे रविवार को चिन्हाकित करते हुए जरूरतमंदों के बीच वितरण किया गया। लाभार्थियों में धौरहरा घाट,दुर्जनपुर,गौहानी,शीशव व रानीपुर पहाड़ी की ग्रामसभाओं के दर्जनों मजरे से हजारों की संख्या में मौजूद गरीबों व जरूरतमंदों को कंबल शॉल व रजाइयां वितरित की गई।