अंग्रेजों जमाने से महिलाओं के अखाड़े में दो-दो हाथ करने की कायम है परम्परा, वीरो की भूमि माने जाने वाले बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले में सैकड़ो वर्षो से चली आ रही महिला दंगल आयोजन की परंपरा, जिसमे हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी घूंघट वाली महिलाएं दंगल में खूब भिड़ी। बूढ़ी महिला के ढोल बजाने के साथ ही अखाड़े में डेढ़ दर्जन से अधिक कुश्तियां हुई जिसमें कुश्ती जीतने वाली
महिलाओं को सरपंच (ग्राम प्रधान) ने पुरस्कृत भी किया। दंगल के चारो तरफ पुरुषों पर नजर रखने के लिए महिलाएं लाठी डंडे से मुस्तैद रही। हमीरपुर जिले के मुस्करा विकास खंड के लोदीपुर निवादा गांव में पुरानी बाजार स्थित अंग्रेजों के जमाने में शुरू हुआ महिलाओं का दंगल आज भी आयोजित किया जाता हैं, जिसे गांव की सरपंच (ग्राम प्रधान) गिरजा देवी ने दो महिलाओं को हाथ मिलवाकर कुश्ती का शुभारंभ कराया। अखाड़े में महिलाओं की 44 कुश्तियां कराई गई जिसमें घूंघट वाली तमाम महिलाओं की गुत्थमगुत्था देख
किशोरियां ताली बजाने लगी, दंगल में कई बुजुर्ग महिलाएं भी घूंघट वाली महिलाओं से भिड़ी। अखाड़े में बुजुर्ग महिला ढोल बजाकर लोगों का उत्साह बढ़ाती रही। दंगल में महिला प्रधान ने कुश्ती लडऩे वाली सभी 44 महिलाओं को गिफ्ट और पुरस्कार देकर सम्मानित किया है। इनमें कल्ली पाल, केसर देवी और मीरा को विशेष तौर पर पुरस्कृत किया गया है।
अंग्रेजों के जमाने से जारी है महिलाओं के दंगल की परम्परा गांव की प्रधान गिरजा देवी व प्रतिनिधि नाथूराम वर्मा ने बताया कि ब्रिटिश हुकूमत में फौजों ने यहां लोगों पर बड़ा अत्याचार किया था। तभी महिलाओं ने अपनी हिफाजत के लिये बिना कुश्ती के दांवपेंच सीखे थे। बताया कि बुन्देलखंड क्षेत्र में यहीं इकलौता गांव है जहां सैकड़ों सालों से महिलाएं अखाड़े में कुश्ती लड़ती आ रही हैं। इससे पूर्व महिलाएं मंगल गीत गाते हुये अखाड़े तक पहुंची।