झांसी : उत्तर प्रदेश के झांसी में पुलिस ने कोरोना के जानलेवा कहर को कमाई के बेहतरीन अवसर में रूप में इस्तेमाल करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड करने में सफलता हासिल की है। मेडिकल कॉलेज, मेडिकल स्टोर और नर्सिंग होम्स की मिलीभगत से चल रहे इस गठजोड़ में शामिल सात आरोपियों को नकली और असली नौ रेमडेसिविर इंजेक्शन के अलावा अन्य साजोसामान के साथ गिरफ्तार किया है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) रोहन पी कनय ने शनिवार को यहां पुलिस लाइन में पत्रकारों को बताया कि मेडिकल में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी को लेकर लगातार मिल रही शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए एसओजी झांसी और नवाबाद पुलिस की संयुक्त टीम को इसकी जांच में लगाया गया था। इसके लिए टीम ने मेडिकल कॉलेज में ठेके पर संविदा कर्मचारियों को रखवाने वाले सुमन मेडिकल स्टोर के पास डेरा डाल लिया। जांच के दौरान टीम ने इसी मेडिकल स्टोर की मदद से मेडिकल कॉलेज में बतौर नर्स रखाये गये मनीष पाल और जमुना प्रसाद को गिरफ्तार किया। इन दोनों के साथ की गयी पूछताछ में इस मकड़जाल का पर्दाफाश हुआ।
इन्होंने बताया कि इस पूरे रैकेट में मेडिकल कॉलेंज के गेट नंबर एक के सामने तनिष्क मेडिकल स्टोर का विशाल बिरथरे, जैनिया नर्सिंग होम का कपांडड हिमांशु समाधियां, मानस अस्पताल का कंपाउंडर हरेंद्र पटेल और सुपरवाइजर मानवेंद्र पटेल तथा सन्मति अस्पताल का सचिंद्र प्रजापति भी शामिल हैं। इनकी गिरफ्तारी के लिए टीम ने जाल बिछाया हालांकि एक आरोपी भागने मे कामयाब रहा। गिरफ्तार किये गये माफियाओं ने पूछताछ में कई बडे अस्पतालों, नर्सिंग होम्स के अलावा मेडिकल कॉलेज के कई बड़े डॉक्टरों के नाम बताएं जो इंजेक्शन की इस कालाबाजारी से महामारी में लाखों के वारे न्यारे करने की इस साजिश में शामिल हैं। मेडिकल कॉलेज में नर्स के रूप में काम करने वाले मनीष और जमुना प्रसाद ने बताया कि यह लोग कोरोना से पीड़ित गंभीर मरीजों के परिजनों द्वारा भेजे गये रेमडेसिविर इंजेक्शन को मरीजों को न लगाकर उनकी मौत का इंतजार करते था। मरीज की मौत के बाद वह दूसरे को तीन से पांच गुना कीमत पर इंजेक्शन बेच देते थे। नर्सिंग होम्स में काम करने वाले हरेंद्र और मानवेंद्र पटेल ने बताया कि वह रेमडेसिविर की शीशियों में नकली दवाई भरकर मरीजों को तीस से चालीस हजार में बेचते थे, दूसरे आरोपियों ने भी इसी तरह से लाखों कमाने की बात कबूली।
ये सभी लोग मेडिकल लाइन में जुड़े हैं और महामारी का दौर है। यह सभी लोगों को असली रेमडेसिविर का झांसा देकर ठगते थे और अपने मरीज को बचाने की मजबूरी में लोग चोरी छिपे इनसे मुंह मांगी कीमत पर इंजेक्शन खरीदते थे। इन्होंने बताया कि चारों ओर हाहाकार मचा है और व्यवस्थाएं पूरी तरह से चरमरा गयी हैं ऐसे में बड़े बड़े लोग दवाई किसी भी कीमत पर खरीदने को तैयार हैं । उन्होंने बताया कि इस पूरे गोरखधंधे में उनका एक साथी राजेंद्र कुशवाहा भी शामिल है। गिरफ्तार माफियों के खिलाफ सुसंगत धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है।