जिले में 28 क्रय केंद्रों में 15 अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीद प्रारंभ हो गई है। पांच दिन के दौरान जो भी गेहूं केंद्र पर बिकने आया उसकी गुणवत्ता खराब मिली। दरअसल महीने भर पहले बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि हो गई थी। इसके चलते गेहूं की फसल पहले ही खराब हो चुकी थी। थोड़ी बहुत कसर कोरोनो ने निकाल ली। देश मे पहले 21 दिन का लॉक डॉउन हुवा। इसके बाद फिर से 18 दिन का हो गया। इस बीच कुछ लोगों ने अफवाह फैला दी। यदि जिले में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ी तो फसल नहीं काटने दिया जाएगा। घबराहट में किसानों ने अधपकी फसल ही काटनी शुरू कर दी थी। ऐसे में दानों का अपेक्षित विकास नहीं हो सका। केंद्र पर आने वाले गेहूं के दाने टूटे और पतले हैं। केंद्रों पर तौल के लिए आए गेहूं में टूटे और पतले दाने का औसत 12 से 14 प्रतिशत तक है। समस्या यह है कि यदि मानक दरकिनार कर गेहूं खरीदा गया तो भारतीय खाद्य निगम लेने से इंकार कर देगा और तौल नहीं कराई गई तो किसान और केंद्र प्रभारियों के बीच विवाद की स्थिति बनेगी। केंद्रों से मिली शिकायत के बाद सोमवार को एफसीआई ने मंझनपुर, सरसवां, कौशाम्बी, जाठी और ओसा मंडी आदि केंद्रों से खरीदे गए गेहूं के 7 अलग-अलग नमूने लिए। इनमे से 6 नमूने फेल हो गए। केवल एक नमूने पर खरीद चल रही है। विपणन विभाग के जरिए इसकी रिपोर्ट डीएम को सौंप दी गई है। डिप्टी आरएमओ ने बताया कि नियमों में शिथिलता के बगैर खरीद में काफी दिक्कतें होंगी।
प्रकृति के कहर से गेहूं की फसल बर्बाद, छह नमूने फेल
कौशांबी जिले में बेमौसम बरसात, ओलावृष्टि की मार से गेहूं की फसल बर्बाद हो गई थी। वहीं लॉक डॉउन में भी फसल काटने की अनुमति न मिलने की अफवाहों ने किसानों की कमर तोड़ दी थी। अफवाहों को ध्यान में रखते हुए किसानों ने अधपकी फसल काट लिया था। ऐसे में गेहूं की पैदावार उम्मीद से काफी कम हुई। समय से पहले फसल काटने के कारण गेंहू के दाने भी पतले हो गए। सरकारी क्रय केंद्रों पर आने वाला गेहूं भारतीय खाद्य निगम के मानक से काफी दूर है। डिप्टी आरएमओ अंशुमाली शंकर ने बताया कि जिले के अलग-अलग केंद्रों से 7 नमूने लिए गए। इनमें से 6 नमूने फेल हो गए। सिर्फ एक नमूने पर खरीद चल रही है। विपणन विभाग ने डीएम के माध्यम से शासन को रिपोर्ट सौंपकर गेंहू खरीद के नियमों में संशोधन की मांग की है। ताकि किसानों की गाढ़ी कमाई मिट्टी के भाव न बिके।