अमेठी : आज़ादी के बाद देश में बहुत कुछ बदल गया, लेकिन नहीं बदला तो सरकारी योजनाओं और संसाधनों में लूट का तरीका. सरकार योजनाओं को देश के हर तबकों को फायदा पहुंचाने के लिए लाती है, लेकिन भ्रष्टाचार का दीमक उन योजनाओं को खोखला कर देती हैं. लोग गांवों से शहरों की ओर नहीं भागे इसके लिए शुरू की गई महात्गा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारन्टी योजना का जमकर दुरुपयोग हो रहा है. इस योजना को भ्रष्टाचार के खुले खेल का मैदान बना दिया गया. प्रदेश के अधिकांश जिलों से इसके कार्यों की शिकायतों के अम्बार लगे हुए हैं. ऐसी ही कुछ शिकायतें अमेठी के विकासखंड मुसाफिरखाना के मझगवां गाँव में भी सामने आई. इतना ही नहीं, यहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत मिशन का भी जमकर मखौल उड़ाया गया है. आरोप है कि इस ग्राम सभा में मनरेगा से लेकर शौचालय तक पर भ्रष्टाचारियों की बुरी नज़र रही है.
सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार की शिकायत :-
मुसाफिरखाना के मझगवां गाँव में महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत कई कार्यों में अनियमितता की शिकायतें मिली. गाँव के ही एक व्यक्ति फिरदौस अहमद ने उच्चाधिकारियों से ग्राम पंचायत में हो रहे भ्रष्ट्राचार की शिकायतें की है. शिकायतकर्ता के अनुसार उसके गाँव में मनरेगा और स्वच्छ भारत मिशन जैसी योजनाओं में भारी गडबड़ी है.
मृत्यु के बाद भी खाते में आई मजदूरी :-
शिकायत है कि गाँव के ही एक व्यक्ति सतन जिसकी मौत अप्रैल 2018 में हो गई थी, उसके बाद भी उसको जुलाई 2018 में काम करते हुए दिखाया गया है. इतना ही नहीं, मरने के बाद भी उसके खाते में उसकी मजदूरी का 1050 रुपये पहुंच जाता है.
रसोईया भी है मनरेगा मजदूर :-
शांति यादव जो ग्राम सभा के एक प्राथमिक विद्यालय में रसोइया है. आरोप है कि शांति की एक ही दिन में विद्यालय और मनरेगा दोनों जगहों पर उपस्थिति दर्ज है. एक ही दिन दोनों जगहों पर उपस्थिति का मामला कई तारीखों में देखा गया. इतना ही नहीं, मनरेगा की मजदूरी की रकम भी उसके खाते में पहुंच गई है.
प्रधान पर अपने चहेतों को शौचालय देने का आरोप :-
प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच की प्रवृत्ति को रोकने के लिए घर-घर शौचालय बनवाया जा रहा था. इस योजना के तहत बिना शौचालय वाले घरों में शौचालय बनवाए जाने थे. लेकिन प्रधानमंत्री की इस योजना में भी भ्रष्टाचार के घुन लग गए. आरोप है कि ग्राम सभा मझगवां में कागज पर कुल 238 शौचालयों का निर्माण कर दिया गया, लेकिन ज़मीन पर इसकी हकीकत कुछ और है. शिकायतकर्ता के मुताबिक गाँव में सिर्फ 119 शौचालय ही बनवाए गए हैं. ग्राम प्रधान पर आरोप है कि उन्होंने अपने चहेतों को शौचालय देकर उसकी रकम को हड़प लिया जो पात्र भी नहीं थे.
इनका क्या है कहना :-
शिकायतकर्ता का कहना है कि यदि मामले में कोई कार्यवाई नहीं की गई तो वह हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा. पूरे मामले पर डीसी मनरेगा मीनाक्षी देवी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि प्रकरण हमारे संज्ञान में है. हमने बीडीओ मुसाफिरखाना को निष्पक्ष जांच कर आख्या सौंपने के लिए निर्देशित किया है. यदि जांच में किसी प्रकार की अनियमितता पाई जाती है तो आवाश्यक कार्रवाई की जाएगी. वहीं बीडीओ मुसाफिरखाना संतलाल का कहना है कि उक्त मामले में जांच करने के लिए लिखित तौर कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है. यदि किसी प्रकार का निर्देश मिलता है तो मामले की जांच की जाएगी. वहीं शौचालय की अनियमितता में शिकायत को लेकर जब सीडीओ प्रभुनाथ से बात की गई तो उन्होंने बताया कि शीघ्र ही एक जिलास्तरीय टीम भेजकर उक्त मामले की जांच कराई जाएगी.